Krishna Heritage: A Legacy of Devotion

A sacred space celebrating devotion, history, and spiritual connection.

Krishna Heritage

भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी पवित्र धरोहर (गुजरात)

1. द्वारकाधीश मंदिर – द्वारका (गुजरात)

जहाँ कृष्ण ने अपना राज्य स्थापित किया — ‘राजाधिराज द्वारकाधीश’  द्वारका वह पावन नगरी है जहाँ भगवान श्रीकृष्ण ने मथुरा से प्रस्थान के बाद अपना राजवंश और शासन स्थापित किया। यहाँ वे राजा नहीं — राजाधिराज, धर्म के संरक्षक और योगेश्वर के रूप में पूजे जाते हैं। द्वारका को स्वर्ग समान नगर” कहा जाता है —जहाँ भक्ति, वैभव, समुद्री शांति और दिव्यता एक साथ अनुभूत होते हैं।

उत्पत्ति / कथा – वज्रनाभ द्वारा प्रतिष्ठित दिव्य स्वरूप

  • श्रीकृष्ण ने यहीं से धर्म, नीति, राजनीति और लोककल्याण का संचालन किया।  परंपरा के अनुसार, वज्रनाभ, जो श्रीकृष्ण के प्रपौत्र थे,  ने भगवान के वास्तविक स्वरूप को ध्यान में रखकर प्रथम विग्रह प्रतिष्ठित किया।
  • द्वारका नगरी समुद्र में डूब गई — लेकिन दिव्य धाम आज भी भक्तों को वही ऊर्जा देता है जैसा महाभारत युग में था।धारणा है कि द्वारका धाम स्वयं मोक्षदायिनी भूमि है — जहाँ दर्शन मात्र से पाप नष्ट होते हैं और जीवन में शुभफल की प्राप्ति होती है।

महत्त्व / प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

मंदिर के शिखर पर ध्वजदर्शन मन को अपार शक्ति देते हैं  ,  समुद्र की लहरों में श्रीकृष्ण की ऊर्जा का स्पंदन ,  गर्भगृह में शांत, तेजस्वी और राजसी श्रीकृष्ण द्वारका की हवाओं में अद्भुत दिव्य विस्तार की अनुभूति

यात्रा संकेत

स्थान: द्वारका नगर, गुजरात

निकट हवाई अड्डा: जामनगर (लगभग 130 किमी), राजकोट (लगभग 225 किमी

रेलवे: द्वारका रेलवे स्टेशन (देश के प्रमुख शहरों से कनेक्टेड)

सड़क मार्ग: जामनगर, ओखा, पोरबंदर, राजकोट से उत्कृष्ट कनेक्टिविटी

प्रमुख उत्सव

जन्माष्टमी उत्सव (बहुत भव्य)

अन्नकूट

ध्वजारोहण समारोह

होली / फाल्गुन महोत्सव

कार्तिक मास दीपदान

अनुशंसित मंत्र : “जय द्वारकाधीश प्रभु की जय!” या “कृष्णाय वासुदेवाय नमः”

भावार्थ

यह वह धाम है जहाँ कृष्ण केवल भगवान नहीं , धर्मराज, नीतिनियंता और विश्व के मार्गदर्शक बनकर विराजते हैं।

2. श्री केशवरायजी मंदिर – बेट द्वारका (गुजरात)

जहाँ कृष्ण काअंतरंग घरमाना जाता है

बेट द्वारका वह पावन द्वीप है जिसे श्रीकृष्ण का निजी निवास (Private Residence) माना गया है। यहाँ स्थित श्री केशवरायजी मंदिर कृष्णभक्ति की घनिष्ठता और निजत्व का प्रतीक हैजहाँ भक्त कहते हैं:
यहाँ हमराजाकृष्णसे नहीं, ‘अपने घर के कृष्णसे मिलते हैं।

उत्पत्ति / कथाश्रीकृष्ण का निजी द्वीपधाम

  • बेट द्वारका महाभारतकालीन स्थल है और माना जाता है कि यह कृष्ण का निजी निवास और खजानागृह (treasury) था।
  • यहाँ की मूर्ति अत्यंत प्राचीन है और परम्परा के अनुसार गौड़वैष्णव और पुष्टिमार्ग दोनों ही इसे अत्यंत पवित्र मानते हैं।
  • समुद्र से घिरे इस द्वीप पर आज भी वह अनुभूति मिलती है कि कृष्ण यहाँ निवास करते थे, अपने परिवार और सखासहचरों के साथ।

भक्तों का गहन विश्वासयह धाम कृष्ण के हृदय के सबसे निकट है।

महत्त्व / प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

समुद्र यात्रा के दौरान ही दिव्य कंपन और शांत भाव  , मंदिर में प्रवेश परघर वाली आत्मीयता” ,  छोटा, शांत, अत्यंत पवित्र वातावरण ,  समुद्र की हवा में कृष्ण के निजी जीवन का एहसास यह धाम अक्सर भक्तों के मन में यह भाव लाता है आज कृष्ण अपने घर पर मेरा स्वागत कर रहे हैं।

यात्रा मार्ग

बेट द्वारका एक द्वीप है,  ओखा जेट्टी (Okha Jetty) से नाव द्वारा पहुँचने की व्यवस्था द्वारका से ओखा लगभग 30–35 किमी  द्वारकाधीश मंदिर के दर्शन  के साथ यात्रा को जोड़ना अत्यंत शुभ माना जाता है.

प्रमुख उत्सव

जन्माष्टमी

कार्तिक दीपदान

समुद्री यात्रा विशेष भक्ति कार्यक्रम

अन्नकूट

अनुशंसित मंत्र : “जय श्री केशवरायजी”

3. रणछोड़रायजी मंदिर – डाकोर (गुजरात)

जहाँरण छोड़नानहींभक्ति की रक्षा है  डाकोर वह दिव्य भूमि है जहाँ श्रीकृष्ण रणछोड़राय स्वरूप में पूजे जाते हैं।  यह नामरण छोड़नेके कारण नहींबल्कि भक्त की रक्षा हेतु रण को पार कर जाना के कारण दिया गया।  डाकोर बताता है किकृष्ण कभी रण नहीं छोड़ते, वे हर रण में अपने भक्त को बचाने आते हैं।

कथाकृष्ण का प्रेम, साहस और भक्तरक्षा
कथा के अनुसारकृष्ण ने एक युद्धस्थल छोड़ा, पर भीति या पलायन के कारण नहीं।  उन्होंने ऐसा इसलिए किया क्योंकि एक भक्तगृहस्थ समुदाय को उनकी आवश्यकता थी।  वे डाकोर के भक्तों की रक्षा हेतु वहाँ उपस्थित हुए।  इसलिए उन्हें रणछोड़ नहीं, बल्कि रणवीररक्षक कृष्ण कहा जाता है।  डाकोर के स्थानीय कृषक और व्यापारी समुदाय कृष्ण को  घर के रक्षक, मार्गदर्शक और विजयदाता मानते हैं।

प्राप्ति / आशीर्वाद

भक्तों का अनुभव

मंदिर प्रवेश पर गहन रक्षकऊर्जा का अनुभव , रणछोड़रायजी का तेजस्वी, राजसी और वीरस्वरूप स्थानीय भक्तों की सरल भक्ति जो मन को छू लेती है ,प्रसाद और चरणामृत में अद्भुत शांति कई भक्त कहते हैं—  डाकोर में कृष्ण प्रभु नहींघर के रक्षक बनकर मिलते हैं।

सेवा सुझाव (Highly Effective Seva)
तुलसीपत्र चरणों में अर्पित करें तुलसी पत्र चढ़ाते समय मन में यह संकल्प करें—  मेरी बाधाएँ मार्ग बन जाएँऔर मेरा भय साहस में बदल जाए।

यह सेवा विशेष रूप से:
संघर्ष , केस ,  व्यापारिक निर्णय,  परिवार की चुनौतियों में अत्यंत शक्तिशाली मानी जाती है।

यात्रा मार्ग

स्थान: डाकोर, ज़िला खेड़ा (गुजरात)

निकट शहर: आनंद (20 किमी), वडोदरा (35–40 किमी)

रेलवे: आनंद / वडोदरा

हवाईअड्डा: वडोदरा

निकट धाम: रँचानपुरा, गोमती तालाब, मल्लापुर

प्रमुख उत्सव

फाल्गुन पूर्णिमा (सबसे प्रमुख मेला)

जन्माष्टमी

अन्नकूट

कार्तिक दीपदान

अनुशंसित मंत्र : “रणछोड़ राय की जय!”

4. शामलाजी मंदिर – अरावली (गुजरात)

जहाँ श्यामल स्वरूप वन और जन दोनों को आशीर्वाद देते हैं
शामलाजी धाम अरावली पर्वत श्रृंखला की गोद में स्थित हैजहाँ भगवान श्रीकृष्ण श्यामल (कृष्णवर्ण) चक्रधारी स्वरूप में पूजित हैं। यहाँ की भक्ति वनवासी संस्कृति और वैष्णव परंपरा दोनों का सुंदर संगम है। यह धाम प्रकृति, शक्ति, सुरक्षा और शांतिचारों का दिव्य केंद्र माना जाता है।

कथावनवासी संस्कृति में कृष्ण का चक्रधारीश्यामलरूप
प्राचीनकाल में वनवासी और आदिवासी समुदाय भगवान को श्यामल, चक्रधारी, वनरक्षक रूप में पूजते थे।  इसी कारण शामलाजी का स्वरूप अद्वितीय, तेजस्वी और अत्यंत पुरातन माना जाता है। धाम पर वैष्णव संतों और स्थानीय जनजाति दोनों का बराबर प्रेम रहा है। यह स्थान बताता हैईश्वर केवल महलों में ही नहींवन, पर्वत और जनजीवन में भी उतनी ही शक्ति से विद्यमान हैं।

प्राप्ति / आशीर्वाद

भक्तों का अनुभव

अरावली पर्वत की हवा में विशिष्ट शक्ति , मंदिर परिसर में प्राकृतिक शांति दिव्य कंपन, वनवासी परंपरा की सरल, सच्ची भक्ति ,  शामलाजी के चक्रधारी, श्यामल स्वरूप से सुरक्षा की अनुभूति कई भक्त कहते हैंयहाँ भगवान वन और पर्वत के रक्षक बनकर मिलते हैं।

सेवा सुझाव (Highly Effective Seva)
जलअर्पण (Water Offering)  शामलाजी को जल अर्पित करना रोग, बाधा और नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने वाला अत्यंत शुभ कर्म माना जाता है। 

सेवा विधि:

  • पर्वत की शिला पर या मुख्य मंदिर में जल चढ़ाएँ , स्वास्थ्य और सुरक्षा का संकल्प लें , परिवार के नाम से भी जल अर्पण कर सकते हैं  यह सेवा विशेष रूप से रोगनिवारण, ऊर्जा और सुरक्षा के लिए प्रसिद्ध है।

यात्रा मार्ग

स्थान: अरावली हिल्स, गुजरात

निकट शहर: मोधासा, हिम्मतनगर

निकटतम स्टेशन: हिम्मतनगर

निकट हवाई अड्डा: अहमदाबाद / उदयपुर

विशेष: वन और घाटियों से घिरा शांत, दिव्य परिसर

प्रमुख उत्सव

शामलाजी मेला (अत्यंत प्रसिद्ध)

जन्माष्टमी

अन्नकूट

पूर्णिमा स्नान

अनुशंसित मंत्र : “श्यामलाय नमः”

भावार्थ

मैं तेरे तनमन की रक्षा करूँगा —  जैसे वन अपने जीवों की रक्षा करता है।

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