Krishna Heritage: A Legacy of Devotion

A sacred space celebrating devotion, history, and spiritual connection.

Krishna Heritage

भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ी पवित्र धरोहर (उत्तर प्रदेश)

1. श्री कृष्ण जन्मभूमि – मथुरा (उत्तर प्रदेश)

उत्पत्ति कथाअवतार का पवित्र क्षण

 

मथुरा की इस पावन भूमि पर माता देवकी और वासुदेव के आठवें पुत्र रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने अवतार लिया। कंस की कारागार में जन्म लेने वाले विग्रह ने संसार को यह संदेश दिया किधर्म की रक्षा के लिए भगवान स्वयं अवतरित होते हैं।


यह स्थल आज भीअधर्म के नाश, सत्य और न्याय की स्थापना, तथा दैवीय हस्तक्षेप की अनुभूति का सजीव प्रमाण है।  जन्मभूमि परिसर का हर पत्थर भक्तों को भयमुक्त जीवन, धर्मनिष्ठ कर्म, और शुद्ध भक्ति का मार्ग दिखाता है।

प्रमुख महत्त्व व आध्यात्मिक फल

मथुरा की जन्मभूमि पर दर्शन करने से परम्परागत रूप से यह फल प्राप्त होते हैं:

विशेष दर्शन अनुभूतियाँ

  • शांत, दैवीय ऊर्जा जो मन को स्थिर करती है , जन्मभूमि कक्ष में गहन आध्यात्मिक कंपन
  • आरती में सामूहिक भक्ति की तीव्र शक्ति ,  वासुदेवकुटीअनुभूतिजहां भक्त स्वयं को ईश्वर के चरणों में समर्पित महसूस करते हैं

कैसे पहुँचे

निकट स्टेशन: Mathura Junction – लगभग 2 किमी

निकट हवाई अड्डा: आगरा (AGRA Airport, 60 किमी)

लोकल परिवहन: रिक्शा, ऑटो उपलब्ध

उपयुक्त समय व प्रमुख पर्व

सर्वश्रेष्ठ दर्शन: सुबह 8:00 AM – 11:00 AM
शाम को संध्या आरती

महापर्व: श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, लड्डू गोपाल झूला उत्सव

भीड़ से बचने के लिए वीकडेज़ को प्राथमिकता दें

अनुशंसित जप / मंत्र : “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय”

2. बाँके बिहारी मंदिर – वृन्दावन (उत्तर प्रदेश)

उत्पत्ति कथाश्याम और श्यामा का दिव्य साक्षात्कार

वृन्दावन की आनंदतरंगिणी धरा पर, महान भक्त स्वामी हरिदास जी की गहन साधना और नादब्रह्म की तान पर श्यामाश्याम ने स्वयं प्रकट होकरबाँके बिहारी स्वरूप में दर्शन दिए। यहाँ कृष्ण मकरंदमाधुरी के प्रतीक हैंइतने मधुर, इतने मोहितकारी, कि लगातार दर्शन करने पर भक्त समाधिभाव में खो जाए। इसी कारण मंदिर में दर्शन झलकझलक कराए जाते हैंताकि बिहारीजी की अत्यंत माधुर्यपूर्ण छवि में भक्त पूरी तरह तल्लीन हो जाए और लौकिक चेतना बनी रहे। इस स्थान का अभिप्राय ही है: प्रेम में डूबो, पर खोओ मतकृष्ण स्वयं तुम्हें संभालेंगे।

प्रमुख महत्त्व व आध्यात्मिक फल

जिला अनुभव – बिहारीजी दर्शन की विशिष्ट अनुभूति

  • बिहारीजी की मुस्कानभक्त पर प्रेम की वर्षा” , राधाकृष्ण की एकत्व लीला की झलक , दुलार, विनय और हृदयनिष्ठ भक्ति का स्पर्श , वृन्दावन की हवा में बहती राधे राधे की तरंग ,यही वह स्थान है जहाँ भक्त कहते हैंयहाँ दर्शन नहीं होतेबिहारीजी स्वयं बुलाते हैं।

यात्रा मार्गदर्शन

निकट स्टेशन: Mathura Junction / Vrindavan Railway Station

स्थानीय परिवहन: रिक्शा, टेम्पो, तांगे

टिप: छुट्टियों और सप्ताहांत पर भीड़ अधिक रहती है

उपयुक्त दर्शन विशेष झाँकियाँ: सुबह की झाँकी ,  संध्या की झाँकी ,  भीड़ से बचने हेतु सुबह के समय श्रेष्ठ

प्रमुख उत्सव

वृन्दावन की होलीबिहारीजी के रंग

हिंडोला उत्सवझूला झूलते बिहारीजी

शरद पूर्णिमामाधुर्यरस का चरम

(तीनों उत्सवों में मंदिर का वातावरण अत्यंत अलौकिक माना जाता है।)

अनुशंसित मंत्र : “राधे राधे जय श्रीराधे”

3. राधा रमण मंदिर – वृन्दावन (उत्तर प्रदेश)

उत्पत्ति कथाजब शालिग्राम ने स्वयं स्वरूप धारण किया
वृन्दावन के छः गोस्वामियों में से एक श्री गोपाल भट्ट गोस्वामी की तपस्या, व्रत और अखंड भक्ति से प्रसन्न होकर उनके पूजनीय शालिग्राम शिला ने एक रात्रि स्वयंराधा रमणके रूप में प्रकट होकर दिव्य विग्रह धारण कर लिया।  यह घटना वैष्णव परंपरा में अद्वितीय चमत्कार मानी जाती है—  क्योंकि यह स्वयंप्रकट श्रीकृष्ण विग्रह है, मनुष्य द्वारा निर्मित नहीं। आज भी भक्त दर्शन करते समय अनुभव करते हैं कि: यह केवल मूर्ति नहींस्वयं रमणस्वरूप श्रीकृष्ण हैं।

धाम की विशिष्टता
राधा रमण जी के विग्रह में त्रिभंग मुद्रा की मनोहर झलक , विग्रह के साथ रखा शालिग्राममूल स्वरूप की स्मृति  ,  500+ वर्षों से अखंडित चल रही महान सेवापरम्परा ,  छोटा, शांत और अत्यधिक आध्यात्मिक स्पंदन वाला मंदिर परिसर

प्रमुख महत्त्व व आध्यात्मिक फल

भक्तों का अनुभव

  • मंदिर में प्रवेश के साथ ही गहरा शांत आध्यात्मिक कम्पन , विग्रह की सूक्ष्म, जीवंत अभिव्यक्ति
  • अत्यंत सरल, विनम्र और परम्परागत आरतीविधि,  सेवायत गोस्वामी परिवार की 500 साल पुरानी व्यवस्था, राधा रमण जी के दर्शन अक्सर यह भाव जगाते हैंईश्वर इतने समीप, इतने जीवंत!”

यात्रा मार्गदर्शन

स्थान: Old Vrindavan (निर्मल संकरे गलियों के बीच)

मंदिर आयु: 500+ वर्ष

पास के धाम: निधिवन, सेवाकुंज, राधा वल्लभ मंदिर

प्रमुख पर्व व उत्सव

ब्रह्मोत्सव
राधा रमण जी के अलौकिक अभिषेक और दिव्य शृंगार का अनुपम उत्सव।

झूला यात्रा (Jhulan Yatra
रमणरसराज श्रीकृष्ण का झूला उत्सववृन्दावन की सबसे मधुर परंपराओं में से एक।

अतिरिक्त पर्व:

  • कृष्ण जन्माष्टमी
  • गोपाल भट्ट गोस्वामी तिरोभाव

अनुशंसित मंत्र : “राधा रमण गोविन्द जय — जय जय श्री राधे”

4. गोकुल – रमन रेटी (उत्तर प्रदेश)

जहाँ कान्हा ने रेत में खेलकर आनंद बरसाया

रमन रेटी का अर्थ हैआनंद की रेत, दिव्यता का खेल

यह वह भूमि है जहाँ बालगोपाल ने अपने नन्हें चरणों से रेत को पवित्र कर दिया।

कथाश्रीकृष्ण के बाललीला की प्रथम धरती

यमुना के उस पार, जहां आज गोकुल स्थित है, वासुदेव जी नवजात श्रीकृष्ण को बदलकर यशोदामैया की गोद में सौंप आए।  यही गोकुल कृष्ण के  – पहले खेल,   पहले कदमपहली मुस्कानऔर पहली माखनलीला की भूमि है।

कथा है कि रमन रेटी की रेत में आज भी दिव्य स्पंदन है, मानो श्रीकृष्ण की बालचपलता और पवित्र आनंद अब भी वहीं बिखरे हों।   भक्त यहाँ आकर अनुभव करते हैं कि—  यहाँ हवा भी गोपाल के बचपन की तरह मासूम लगती है।

प्रमुख महत्त्व / आध्यात्मिक प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

  • रेत में बैठते ही मन हल्का और शांत ,  बच्चों जैसा आनंद, सरलता और खुलापन , बालगोपाल की चंचलता की अनुभूति , रेत मेंऊर्जातरंगजैसा दिव्य अनुभव

विशेष सेवा सुझाव

रेत पर लेटकर प्रार्थना”   यह सेवा अहंकारक्षालन और मन को खाली करने का माध्यम मानी जाती है।
शरीर माँ धरती पर और मन बालगोपाल के चरणों मेंयह क्रिया भक्त को गहरी विनम्रता, हृदयशुद्धि और प्रेमऊर्जा से भर देती है।

यात्रा मार्गदर्शन

स्थान: मथुरा से कुछ ही किलोमीटर दूरी

निकट स्टेशन: Mathura Junction

परिवहन: ऑटो, रिक्शा और लोकल जीप

संलग्न धाम: नन्दभवन, ब्रह्मांडघाट, गोपाललाल मंदिर

प्रमुख उत्सव

गोकुल अष्टमी

बलगोपाल झूला उत्सव

ब्रज की होली (गोकुलविशेष)

अनुशंसित मंत्र :- “श्याम सुंदर की जय”

5. नंद भवन – नंदगाँव (उत्तर प्रदेश)

 जहाँ नंदयशोदा के लाल ने अपना शैशव बिताया

यह वही पावन धरा है जहाँ बालकृष्ण के कदमों की छाप आज भी हवा में महसूस होती है। नंदगाँव की पहाड़ी पर स्थित नंद भवन वह स्थान है जहाँ माँ यशोदा ने कान्हा को पाला, सँवारा और उनसे संसार को प्रेम, सरलता और आनंद का संदेश मिला।

कथाबाल लीला का घर, प्रेम का प्रथम विद्यालय

गोकुल में कंस के अत्याचार बढ़ने पर नंद बाबा ने कृष्ण को लेकर नंदगाँव सुरक्षित स्थान पर बसे।

यहीं कान्हा ने अपना बचपन बितायामाखनचोरी , ग्वालबाल संग गाय चराना , बांसुरी की मधुर तान , रासलीला की प्रथम झल , माँ यशोदा की ममतामयी डाँट और दुलार, नंदगाँव वह भूमि है जो ममता, सुरक्षा, आनंद और परिवारप्रेम का पवित्र स्वरूप है।

महत्त्व / आध्यात्मिक प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

  • नंदगाँव की पहाड़ी हवा में अपार शांति , नंदयशोदा की ममता का भाव , बचपन और सरलता की ऊर्जा मंदिर के आँगन में ग्वालबाल लीला की अनुभूति , कान्हा की चंचल मुस्कान का सहज दर्शन

विशेष सेवा सुझाव

बच्चों के नाम सेरुईमाखनका भोग
यह भोग बाल गोपाल की विशेष प्रिय सेवा मानी जाती है। भक्त विश्वास करते हैं कि इससेबच्चों की रक्षा, स्वास्थ्य, और उज्ज्वल भविष्य ,  का ईश्वरीय आशीर्वाद मिलता है।

यात्रा मार्गदर्शन

स्थान: नंदगाँव, मथुरा वृंदावन क्षेत्र

विशेषता: Hilltop Temple (ऊँची पहाड़ी पर स्थित)

निकट स्टेशन: Mathura Junction

निकट धाम: बरसाना (मात्र 7–8 किमी), गोकुल, रमन रेटी

प्रमुख उत्सव

नंदोत्सव

कृष्ण जन्म के अगले दिननंदगाँव का प्रमुख उत्सव।

ब्रज की होली (Lathmar Holi के समीपबरसानानंदगाँव की पारंपरिक होली विश्वविख्यात है।

अन्यझूला उत्सव ,  माखनमिश्री भोग उत्सव , कार्तिक मास उत्सव

अनुशंसित मंत्र :- “जय कृष्ण गोविंदा जय गोपालक”

6. मदन मोहन मंदिर – वृन्दावन (उत्तर प्रदेश)

जहाँ मनमोहक प्रभु मन को भी अपने वश में कर लेते हैं

वृन्दावन की पहाड़ी पर स्थित मदन मोहन मंदिर वह स्थान है जहाँ श्रीकृष्ण अपने मदनमोहन स्वरूप में विराजते हैंएक ऐसा रूप जो कामदेव तक को मोहित कर दे, और मन को भटकने से रोककर भक्ति में स्थिर कर दे।

यह धाम मन की चंचलता पर विजय पाने का आध्यात्मिक केन्द्र माना जाता है।

 कथावज्रनाभ द्वारा प्रतिष्ठित दिव्य स्वरूप

वृन्दावन के प्राचीनतम वैष्णव मंदिरों में से एक, यह धाम अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। परम्परा के अनुसारमूल विग्रह वज्रनाभ (श्रीकृष्ण के परनाती) द्वारा प्रतिष्ठित माना जाता है।  यहाँ का स्वरूप मदनमोहन कहलाता है क्योंकि वे मन को मोह लेने वाले अनुपम सौन्दर्य और अद्भुत शांति के प्रतीक हैं।  यह मंदिर सनातन भक्ति धारा और छः गोस्वामी परम्परा से गहरा जुड़ा है।  मदन मोहन जी की स्थिर, शांत और निर्भ्रांत मुद्रा मन को तुरंत 

आत्मवलोकन और आत्मिक अनुशासन की ओर ले जाती है।

महत्त्व / आध्यात्मिक प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

  • मदन मोहन पहाड़ी पर हवा में असाधारण शांति ,  मंदिर की प्राचीनता में छिपी दिव्यता , दृष्टी मात्र से मन हल्का, स्थिर और शांत ,  सूर्यास्त समय मंदिर परिसर में गहन आध्यात्मिक कंपन

विशेष सेवा सुझाव

कृष्णनाम लेखन साधना”  मदन मोहन जी के समक्ष बैठकर  108 बारकृष्णलिखना  मन को चमत्कारिक रूप से एकाग्र कर देता है।  इससेमन का भटकाव रुकता है,  विचारशक्ति शुद्ध होती है , ध्यान और जप में गहराई आती है ,  यह साधना विशेष रूप से विद्यार्थी, साधक और मानसिक शांति खोजने वालों के लिए अत्यंत कल्याणकारी मानी जाती है।

यात्रा मार्गदर्शन

स्थान: वृन्दावन की ऊँची पहाड़ी (Kaliya Ghat के पास)

निकट स्टेशन: Mathura Junction / Vrindavan

मंदिर परिवेश: प्राचीन, शांत और साधना के लिए अनुकूल

आसपास के धाम: गोविंद देव जी मंदिर, राधावल्लभ मंदिर

प्रमुख उत्सव

महाशयन उत्सव

ब्रज की होली

कार्तिक मास दीपदान

झूलन उत्सव (सीमित रूप में)

अनुशंसित मंत्र : “मदन मोहन गोविंदा”

7. बरसाना – श्रीजी मंदिर (राधा रानी मंदिर), उत्तर प्रदेश

राधा रानी की जन्मभूमिप्रेम का शाश्वत धाम  बरसाना वह पावन धरा है जहाँ श्रीराधा रानी, श्रीकृष्ण की सर्वोच्च प्रिया, ने अवतार लिया।  यह स्थान अनंत प्रेम, करुणा, माधुर्य और समर्पण का प्रतीक हैक्योंकि कृष्णभक्ति राधाभाव के बिना पूर्ण नहीं।

 

उत्पत्ति / लीलाराधा रानी का आनन्दनिकेतन
बरसाना को वरसाना भी कहा जाता हैजिसका अर्थ है ईश्वर का वरदान। ,  पर्वत की चार पहाड़ियों को राधाकृष्ण के चार दशक (चार दिशाओं) से जोड़ा जाता है।  शास्त्रों में वर्णित है कि यहीं से रासलीला, प्रेमऋतु, लाड़प्यार, और मधुरशृंगार की धारा प्रवाहित हुई।  बरसाना की लठमार होली केवल उत्सव नहींयह राधाकृष्ण की हासलीला का अमृत अवशेष है।  यह धाम याद दिलाता है
जहाँ राधा हैं, वहीं कृष्ण का पूर्ण स्वरूप प्रकट होता है।

महत्त्व / आध्यात्मिक प्राप्ति

भक्तों का अनुभव

  • श्रीजी मंदिर की सीढ़ियों पर चढ़ते हुए मन में अद्भुत उमंग ,  मंदिर परिसर में माधुर्यरस की प्रबल लहर उच्च पर्वतशिखर से दर्शन करते समय अनोखी शांति ,  जय राधे! जय राधे!” के उद्घोष से पूरा  वातावरण भक्ति से भर जाता है

विशेष सेवा सुझाव

राधेनाम जपमंदिर परिसर में 108 बार , यह साधना हृदय में प्रेम, करुणा और भक्ति की कोमलता स्थापित करती है।  राधा रानी का नाम स्वयं में आत्मशुद्धि का महामंत्र माना गया है।

यात्रा मार्गदर्शन

स्थान: बरसाना, मथुरा जनपद

मंदिर स्थिति: पहाड़ी पर सीढ़ियों का लम्बा मार्ग, परन्तु अत्यंत पवित्र अनुभव

निकट शहर: कोसी कलां, मथुरा

निकट धाम: नंदगाँव, कुसुम सरोवर, राधा कुंड

प्रमुख उत्सव

लठमार होली (विश्वप्रसिद्ध) : राधाकृष्ण की हासलीला पर आधारित यह होली बरसानानंदगाँव की अद्वितीय परंपरा है।

 राधाष्टमी:  राधा रानी का जन्मोत्सवदिव्य शृंगार और मधुर कीर्तन से अनुपम दृश्य।

 झूलन उत्सव : श्रीजी के झूले के दर्शनअत्यंत माधुर्यपूर्ण।

अनुशंसित मंत्र : “राधा रानी की जय!”

8. गिरिराज जी – गोवर्धन (मथुरा, उत्तर प्रदेश)

जहाँ स्वयं गिरिराजश्रीकृष्ण का प्रत्यक्ष स्वरूप हैं  गोवर्धन वह दिव्य भूमि है जहाँ गिरिराज जी स्वयं श्रीकृष्ण के अंगस्वरूप माने जाते हैं।  ब्रज में कहा जाता हैगोवर्धन कृष्ण नहीं, कृष्ण स्वयं गोवर्धन हैं।

यह धाम रक्षा, कृपा, विनम्रता और दिव्य शरणागति की अद्वितीय अनुभूति प्रदान करता है।

कथाइन्द्रगर्व का नाश और शरणागति का संदेश जब इन्द्र ने ब्रजवासियों पर प्रलयकारी वर्षा की, तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उँगली पर गोवर्धन पर्वत उठाकर पूरा ब्रज सुरक्षित कर दिया। उन्होंने कहागिरिराज मेरी देह हैं; इनकी पूजा ही सच्ची मेरी पूजा है।

यह लीला सिखाती हैशरण में आने वालों की रक्षा निश्चित है। अहंकार का अंत होता है और विनम्रता का शासन। ईश्वर साधारण प्रतीत होने वाली चीज़ों को भी दिव्यता से भर देते हैं।

प्राप्ति / आध्यात्मिक लाभ

भक्तों का अनुभव

  • गिरिराज के चरणों में दिव्य सुरक्षा का भारी अनुभव ,  परिक्रमा के दौरान मन हल्का, शांत और गहरी भक्तिऊर्जा , राधाकुंड और कुसुम सरोवर में माधुर्यरस का विशेष स्पंदन , संध्या समय गोवर्धन की परछाई में अलौकिक दर्शन

विशेष सेवागोवर्धन परिक्रमा

एक परिक्रमाचाहे छोटी ही क्यों होकृपा का अनुभूतिपूर्ण प्रभाव दे जाती है।
परिक्रमा तीन प्रकार की होती है:

  • पूरी परिक्रमा: 21 किमी (दानघाटीमानसी गंगाराधाकुंडकुसुम सरोवर)
  • अर्ध परिक्रमा: मानसी गंगा का परिक्रमा
  • मानस परिक्रमा: मन ही मन संकल्प के साथ, श्रद्धाभक्ति से

भक्त मानते हैं कि हर कदम विघ्नों को काटता है और कृपा को बढ़ाता है

परिक्रमा मार्ग

  • दानघाटी
  • मानसी गंगा
  • गोविंद कुंड
  • राधा कुंड
  • श्याम कुंड
  • कुसुम सरोवर
  • पानीघाटा मार्ग

(पूरी परिक्रमा 5–7 घंटे में सम्पन्न होती है।)

प्रमुख उत्सव

गोवर्धन पूजा / अन्नकूट उत्सव

कार्तिक मास दीपदान

गिरिराज शयनजागरण उत्सव परिक्रमा मेला

अनुशंसित मंत्र : “गिरिराज धरन की जय!”

भावार्थ

“जिसने गोवर्धन उठाया, वह आज भी हमारे सभी बोझ उठाते हैं।
हर चिंता, हर बाधा, हर भय — गिरिराज के चरणों में हल्के हो जाते हैं।”

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